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''स्वयं से रखें, पहला स्नेह ''
'' इस सम्पूर्ण संसार में जितना कोई ओर तुम्हारे प्रेम और अनुराग का अधिकारी हैं ,उतना ही तुम स्वयं भी हो। ''
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हम सभी अक्सर देखते आये हैं ''चाहें स्त्री हो या पुरुष अपनी जिम्मेदारियों और रिश्तों को निभाते -निभाते ख़ुद की परवाह भूल जाते हैं ,कभी स्वयं के लिए कुछ खास किया हो या ख़ुद के दिल को खुश करने के लिए कुछ स्पेशल किया हो।
मुझे नहीं लगता ,शायद ही ऐसा किसी को कुछ याद हो। सारि जिम्मेदारियां निभाते -निभाते अपने आप से दूर हो जाने की स्थिति आज हर कोई झेल रहा हैं। सब इस भागती -दौड़ती जिंदगी में बस दौड़ते चले जा रहें हैं। बस दौड़ते रहते हैं क्या पाना हैं ऐसा ये कुछ पता नहीं बस दौड़ना हैं।
निरंतर चलना अच्छी बात हैं परन्तु कुछ रुक कर सोचें की क्या हम इतना व्यस्थ और परेशान होकर ख़ुश हैं ,जिन अपनों के लिए दिन -रात भागदौड़ कर रहें हैं क्या उनके साथ और खुद के लिए कुछ सुकून के पल भी हैं हमारे पास।
सब कुछ पाने की और सब कुछ निभाने की चाह में स्वयं से दूर हो जाने की वजह आज हर किसी के पास हैं। विशेषकर महिलाए ,जो हर सम्बन्ध को प्रेम और अपनेपन से सिंचति हैं ,परन्तु वो स्वयं को ही भूला देती हैं। 💃💃💕💕
खुद से प्रेम करना अपने आप से जुड़े रहना ,सबसे विशेष रिश्ता हैं। स्वयं को खुश ,प्रसन्न ,सहज और संतोषी रखें बिना हम दुसरे संबंधों को सहजता से संभाल पाना ओर कठिन हो जाता हैं।
इसलिए सबको अपने से जोड़कर ,अपने आप को ही भूल जाने की कोशिश न करें।
स्वयं से भी उतना ही प्यार करें जितना आप अपने अपनों से करते हैं।
प्रेम ,स्नेह ,प्यार दुलार और खुद से सरोकार का रिश्ता भी हमेशा अपने से जोड़े रखें।
जब मैं स्वयं को समझूँगी, तो ही आपको समझूँगी। ऐसी बात में हैं प्रेम, अपना। स्वयं से प्रेम किये बिना अपने ही विचार और व्यवहार को समझना मुश्किल होता हैं। जब भी आप थक जाये ,जिंदगी की भागमभाग में तो दो पल सुकून के अपने स्वयं के लिए भी निकाले। ये जिंदगी की भागदौड़ तो हमेशा चलती रहेगी। परन्तु कुछ सुकून के पल अपनी ख़ुशी , रूचि के लिए जरूर दे।
इतने बीजी भी न रहें की अपने दिल के हालत भी नही समझ सकें।
आस -पास का वातावरण हो ख़ुशनुमा :-
स्वयं को जानने पहचानने की राह हमेशा जरुरी हैं अपने दिल को खुश खुश रखने की कोशिश आपको हमेशा जिंदादिल बनाये रखेंगी और बुरे विचारों से भी दूर रखेगीं।
स्वयं से प्यार करना और स्वयं समझना ख़ुशी के रास्ते का पहला कदम हैं।
आप कितनी ही कोशिश करले पहले स्वयं को समझगे तब ही ,ओरो और उनके हालातों को समझ पायेंगे।
स्वयं से जुड़कर ही आप सकारात्मक सोच बनाये रख सकते हैं। वैसे भी कोई भी मनुष्य चाहें स्त्री हो या पुरुष उसका दिल अगर ख़ुश हे तो ही वो अपने अपनों को खुश रख सकता हैं।
इसलिए हमेशा '' स्वयं से रखें पहला स्नेह '' और खुश रहें ,मस्त रहें।
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