दुनियाँ की आधी मॉडर्न स्त्री आजादी [ भाग -3]

 



       ''     दुनियाँ की आधी मॉडर्न स्त्री आजादी   भाग -3 ''


💖💖💖💖💖👧👧

जैसा  हमने  ''    पहले दो अंक  '''    में  बात की की महिला आज़ादी में  ''     तीन वर्ग    ''    बन गए हैं उसी में आगे की बात। .....  

ये जो तीसरा वर्ग जो खुद को आज की  ''   मॉडर्न ''  महिला कहता हैं ,इसे घर की किसी ज़िम्मेदारी में कोई योगदान नहीं देना हैं ,पर अपनी ''   स्वतंत्रता   '''    पूरी की पूरी चाहिए।  उसमें कोई कुछ कहे तो वो 

''  ड़कियानुशी ''  ख्याल का हो जाता हैं। 


                                          ''   सोचें -विचार करें ज़रा। ''  


💝💝💝

ये   ''   स्त्री   ''   वर्ग जो इस तरह की   '''  आज़ादी   ''  चाहता हैं ,वो किस तरह अपनों व अपने परिवार और समाज ,देश की उन्नति में अपना सहयोग और भागीदारी दे पायेगा। 

इस    '''    तीसरे स्त्री वर्ग''    की महिला जो अपने आप को  ''  मॉडर्न स्त्री   ''  दिखाकर ये साबित करना चाहती हैं ,की उसे भी पूर्ण   ''    स्वतंतत्रा '''   हैं।  किसी की रोक -टोक अपने ऊपर उसे '''   बर्दास्त    '' नहीं।    



💃💃👩👩👩👩

वो ये क्यों? भूल जाती हैं ,कि वह तभी अपने आप को   ''  मॉर्डन   ''  या स्वतंत्र कह सकती हैं।  जब तक वो अपने    ''  कर्तव्य  ''   को    '''   बखूबी   ''   पूर्ण न करें और ईमानदारी से हर उस कार्य को पूर्ण करें ,जो 

  ''  पुरुष   ''  बिना किसी    ''  स्वार्थ ''  भाव से जीवन भर पूर्ण ईमानदारी से निभाता आया हैं। 

जिसे हम हमेशा   ''  दोष   ''  देते हैं कि     ''   पुरुष    ''  कभी -भी   ''  स्त्री   ''  के समर्पण और त्याग बराबरी कभी नहीं कर सकता।   



💞💞💞💞💞💞  

परन्तु  क्या आपने कभी सोचा हैं   ?  

पुरुष जो  कभी   -  पिता ,भाई  , पति ,बेटा ,दोस्त के रूप में कई बार कई ऐसे कार्य करता हैं ,जो शायद उसे भी   ''    नापसंद    ''   हो।   उसे भी उस कार्य को करने में ख़ुशी न हो , फिर भी सिर्फ अपना ''  

''  कर्तव्य ,जिम्मेदारी और फ़र्ज  '' मानकर जीवनभर उस कार्य का निर्वाह कर रहा होता हैं । 

वो क्यों करता हैं , ये सब।   हम कभी विचार नहीं करते , क्योकि हम हमेशा   ''  स्त्री   ''  को ही बेचारी मानते हैं, और    '''  पुरुष को निरदई  ''। 




👧👧💖💖💖

क्या ये समाज की सोच हमेशा सही होती हैं। 

एक पुरुष जो हर घर की   ''    रीढ़ की हड्डी   ''  होता हैं ,उसे क्या ,आपने कभी किसी भी तरह अपने ऊपर कुछ खर्च करते देखा हैं ,उसे हमेशा अपने ''  परिवार की जिम्मेदारी  '' का एहसास कुछ भी खर्च करने से रोके रखता हैं। 



👸👸👸👸💓💓💓

एक छोटी सी कहानी से कहना चाहुगी :--



  एक बार पति ,पत्नी ,और बच्चे सभी    ''   दिवाली की शॉपिंग ''    करने गए। सब ने अपनी -अपनी पसंद से बहुत कुछ खरीदा। बच्चो ने अपने लिए कपड़े ,जुटे , खिलौने आदि। 

पत्नी ने भी घर का राशन , घर की सजावट का समान ,देने के लिए गिफ्ट ,अपने लिए ड्रेस ,एक साड़ी और एक सोने का हार ,क्यों की दिवाली हैं ,और वो  गृहलक्ष्मी जो ठहरी हैं। 

पति भी ये सब दिलाकर खुश होता हैं । सभी ख़ुशी -ख़ुशी    ''  केशकाउन्टर ''  पर गए और ''   बिल    ''   बनवाया। 

बिल इतना ज़्यादा बना की जो   '' तनख्वा के साथ दिवाली बोनस ''  था ,वो भी ख़त्म हो गया और जेब ख़ाली। 

फिर भी वो खुश था। सब को खुश देखकर।

 आख़री में उसकी    ''  पत्नी    ''  ने जब कहाँ की आपके लिए भी एक ड्रेस लेते हैं ,तो पति ने मुस्कुराकर कहाँ की मेरे पास तो अभी बहुत सी ड्रेसे हैं। मैं अभी नहीं बाद में ले लुगा,और उसने नहीं ली ,परन्तु उस पत्नी को एहसास नहीं होने दिया कि उसके जेब में पैसे नहीं हैं। 

उन अपनों की ख़ुशी में बहुत खुश था। ये त्याग होता हैं ,एक पुरुष का भी। 




👬👬👬👬👬👬

मैं नहीं कहती ,सभी पुरुष ऐसे ही हैं पर अधिकतर अपना कर्तव्य व जिम्मेदारी बेहद ईमानदारी से निभाते हैं। दिन -रात काम करके अपनों को बेहतर जिंदगी और सुख -सुविधा देने की कोशिश करते  हैं। इसके लिए अपने स्वस्थ का ख्याल भी नहीं कर बस काम और कभी -कभी तो ऑवर -टाइम भी करते  हैं,ताकि ज्यादा पैसे आ सकें। 

क्या पुरुष की इच्छाये नहीं होती हैं ,की  वो भी खुद पर पैसा खर्च करें ,परन्तु उसे अपने जिम्मेदारी और महीने के बजट की चिंता होती हैं। 

👩👩💃💃💘💘💚💚💚💚💚

हमेशा हर   ''   स्त्री ''  पुरुष की बराबरी करना चाहती हैं। उसके जैसे स्वतंत्रा चाहती हैं ,फ़िर भी उन्हें अपना ''   सामान   ''   उठाने के लिए हमेशा     ''  भाई ,पति ,पिता चाहिए।  ऐसी मार्डन महिला अपने हक की आवाज तो हमेशा उठाती रहती हैं ,लेकिन हमेशा   ''    पति ,भाई , पिता     ''  के आगे अपनी हर जरूरत के लिए हाथ फैलती रहती हैं ,क्योकि अपने शरीर को कोई तकलीफ़ तो इन्हे देनी नहीं हैं पर आज़ादी पूरी चाहिए।  




👫👫👫👫

हमारे समाज में हमेशा   ''  स्त्री -पुरुष   ''  की बराबरी की बातें तो होती हैं फिर हम ही क्यों इन्हें , बस ,ट्रेन ,या और भी कई बैठने के लिए ,या कोई लाइन में हमेशा  ''  पुरुष  '' से पहले   ' ' महिला   ' '  की सीट या लाइन  चाहिए। 

👪👪👪👪👪👸👸

हर सार्वजानिक कार्य में पहले प्राथमिकता भी  ''  स्त्री   ''  को चाहिए। 

ऐसा क्यों?

इन्हें अपनों के सवाल -जवाब अपनी निजी जिंदगी में दखल लगता हैं ,पर परेशानी और मुसीबत में सारे जवाब  '' पुरुषो   '' से ही चाहिए और फिर भी बेचारा पुरुष   ''  ख़राब   '' 

ये जो अभी   '''     तीसरा मॉर्डन स्त्री वर्ग     ''''   बना हैं ,वो समाज परिवार , और रिश्तों के लिए बहुत ही चिंताजनक हैं। 




💃💃💃💃💔💔💔

इस मॉडर्न स्त्री वर्ग ने अपनी खुली जीवन शैली से अपने संस्कारों और ज़िम्मेदारीयों को बिल्कुल भूला दिया हैं।  इस वर्ग ने अपने बच्चे को   ''  आया ''    के भरोसे  , अपने   ''    बूढ़े सास -ससुर   ''    को वृद्धाश्रम ,और अपने पति को   ''  नौकरानी ''  के भरोसे छोड़ रखा हैं।  



👧👧👧👩

और वो बीजी हैं अपने दोस्त और अपनी पिचर ,किटीपार्टी ,क्लब आदि में । 

क्या ये विचार का विषय नहीं की ऐसी आज़ादी किस काम की जो हमारे    ''   संस्कारों और संस्कृति    ''

का पतन कर दे। 

मैं हमेशा स्त्री के पक्ष में लिखती हूँ ,परन्तु ये एक ऐसा विषय हैं जो बहुत चिंतनीय हैं। 


ज़रा विचार करियेगा। 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💕💕💕

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ