'' हिंदी साहित्य में काल विभाजन ''
पहली बार हिंदी साहित्य में व्यवस्थित काल विभाजन का श्रेय '' जार्ज इब्राहिम ग्रियर्सन '' को जाता हैं।जार्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन 12 अध्यायों में हैं। पर कुछ साहित्यकार इनके काल विभाजन को सही नहीं मानते हैं।
'' जार्ज के अनुसार ''
1 . चारण काल [ आदिकाल ] 800 -1400 ई.
2 . 15 वी शताब्दी का धार्मिक पुर्नजागरण
3 . मलिक मुहम्मद जायसी की प्रेम कविता।
4 . व्रज का कृष्ण संप्रदाय 1500 से 1600
5 . मुग़ल दरबार
6 . तुलसीदास
7 . रीतिकाव्य का समय 1580 -1692
8 . तुलसीदास के परवती कवि 1600 -1700
9 . अठारहवीं शताब्दी 1700 -1800
10 . कंपनी के शासन में हिंदुस्तान
11 . महारानी शासन में हिंदुस्तान
12 . विविध अज्ञात कवि
ये विभाजन जार्ज ग्रियर्सन के द्वारा किया गया था।
हिंदी साहित्य के इतिहास में बहुत से काल विभाजन हुए ,उनमे से करीब 8 वी शताब्दी से लेकर 14 वी शताब्दी के बीच तक के काल को आदिकाल कहाँ जाता हैं।
'' आदिकाल का नामकरण डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी ने किया ''
इस काल को अनेक विद्वानों ने अलग अलग नाम दिए।
'' उप नाम ''
1 . डॉ रामचंद्र शुक्ल ने - वीरगाथाकाल
2 . विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - वीरकाल
3 . मिश्र बंधुओ ने - प्रारंभिक काल
4 . ग्रियर्सन ने - चारण काल
5 . राहुल सांकृत्यायन - सिद्ध सामंत काल
6 . रामकुमार वर्मा - संधि चारण काल
7 . गुलेरी ,धीरेन्द्र वर्मा - अपभृंश काल
8 . रमाशंकर शुक्ल - जयकाल
''आदिकाल में लिखा गया साहित्य व रचनाओं का वर्णन ''
अपभ्रंश = साहित्य के प्रमुख कवि
कवि रचना
1 . स्वयंभू पउमचरिऊ ,रीठटणेमिचरिऊ ,स्वयंभूछंद
2 . पुष्पदंत ये पहले शैव थे ,परन्तु बाद में आश्रयदाता के आग्रह पर जैन हो गए।
महापुराण ,णयकुमार चरिउ ,जसहार चरिउ
3 . धनपाल भविस यत्तकहा
4 . अब्दुल रहमान संदेशरसक [खंड काव्य ]
5 . जोइंदु परमात्मप्रकाश ,योगसार
सिद्ध साहित्य के प्रमुख कवि :-
कवि रचना
1 . सरहपा दोहाकोष
2 . शबरपा चर्यपाद
नाथ साहित्य के प्रमुख कवि :-
कवि रचना
1 . गोरखनाथ सबदी ,पद रोमावली ,ग्यानतिलक ,पंचमात्र [ गोरखनाथ ने ''हठ योग का उपदेश दिया था।
रसों साहित्य के प्रमुख कवि :-
1 . चन्द्रबरदाई पृथ्वीराजरसों [ हिंदी का पहला महाकाव्य ]
2 . नरपति नाल्ह बीसलदेवरसों [गेयकाव्य ]
3 . जगनिक परमलरासों
4 . जज्जल हम्मीररसों
आदिकालीन अन्य प्रमुख कवि :-
1 . भट्टकेदार -जयचंद प्रकाश , 2 . मधुकरकवि -जयमयंक जस चंद्रिका ,3 विद्यापति -कीर्तिलता -कीर्तिपताका , अमीर खुसरो -खालिकबारी ,नजरान -ए -हिन्द
''आदिकाल की विशेषता ''
1 . आश्रयदाताओं की प्रशंसा 2 . ऐतिहासिकता का अभाव 3 .अप्रमाणिक रचनाए 4 . युद्धों का सजीव वर्णन 5 . संकुचित राष्ट्रीयता 6 . वीरकाव्य तथा श्रृंगार रस काव्य 7 .जनजीवन के चरित्र का अभाव 8 .काव्य के दो रूप 9.विविध छंदो का प्रयोग 10. डिंगल भाषा का प्रयोग 11. अंतर विरोध का काल 12. लौकिक रास की रचनाए 13. उपदेशात्मक साहित्य 14. उच्चकोटि का धार्मिक साहित्य 15. स्त्री केंद्रित साहित्य 16. रासो साहित्य
"आदिकाल का मानव और उसका आहार "
आदिकाल मैं वर्ण व्यवस्था व आश्रम व्यवस्था की स्थति विकृत थी। ब्रहमणों को उच्च स्थान प्राप्त था। क्षत्रियो ने राजनैतिक क्षेत्र ,वेश्या ने व्यापारिक क्षेत्र संभला रखा था ,और शुद्रो की स्थति विचित्र व विकृत थी। संयुक्त परिवार , पितृ सत्तात्मक परिवार ,स्थानीय परिवार थे। पति पत्नी को समान अधिकार था। बहु पत्नियों का प्रचलन था किन्तु गृहस्थ आश्रम एक मर्यादित आश्रम था। क्षतिरो में मद्यपान ,भांग अदि का प्रचलन था।
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