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खम्माघणी मित्रों ,

 "मरुधारा की मिटटी से  उत्तपन्न  ,सूर्य की तपिश से इस  संसार में अपनी पहचान छुपाय  कटीले मार्ग पर अग्रसर  प्रत्येक परिस्तिथि  में  खुद को सिद्ध किये जा रही , जी  हाँ  मैं  एक  स्त्री   हूँ। 

गंगा से पवित्र जल को  खुद  में संचय किये  अपने परिवार रूपी  उपवन को  मैं  स्वर्ग  बनाये जा रही  हूँ।निर्मल जल के अर्थ  से  सुशोभित  मैं  एक गृहणी  क्रिंजल  तम्बोली हूँ। "




          

मित्रों संक्षेप  मे  अपना परिचय देती हुँ  मैं एक सामान्य सी गृहणी हुँ ,मैंने  इस  नवयुग  में  अपनी पहचान  बनाने  के  लिए  इस ब्लॉग की शुरुवात की है।  मेरा आप सभी से सविनय  निवेदन है  की  आप  सभी इस ब्लॉग को पढ़े और अगर आपको मेरे विचार पसंद आये तो आप मेरे ब्लॉग को सब्सक्राइब करे तथा अपने मित्रों ,परिवार जनों को भी शेयर करे एवं अपने सुझाव कमेंट के माध्यम से मुझ तक पहुंचाए। 
धन्यवाद।

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