guru purnima 2020 gurvedvobhav quotes

                                                                 गुरु  पूर्णिमा [ गुरुदेवोः भवः ]
                     

                  ''   गुरु  गोविंद  दोऊ  खड़े काके लागू पाय। 
                      बलिहारी गुरू आपने ,गोविन्द दियों मिलाय।।     ''


                           


हमारे यहाँ गुरू का स्थान भगवान से भी ऊपर माना गया हैं। इसलिए ही गुरू सबसे पहले पूज्यनीय हैं। हम सभी गुरू पूर्णिमा को गुरू की पूजा  व   वंदना करते हैं। मैं 
गुरू के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत -   शत नमन करती हूँ । 











                                          ''  गुरुब्रह्मा  गुरुर्विष्णुः ,गुरुर्देवो महेश्वरवरः। 
                                            गुरुः साक्षात् पर ब्रम्हा नमः, तस्मै श्रीगुरूवे नमः । ''




हिन्दू संस्कृति व हिन्दू पंचाग के अनुसार आषाण के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू -पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं। जो हिन्दू महिने का चौथा महिना हैं। 
भारतीय संस्कृति में नव वर्ष चैत्र माह से मनाया जाता हैं ,जब पृथ्वी जिसे हम धरती माँ कहते हैं नव श्रृंगार करती हैं। 








                                  ''गुरु बिन तो अपूर्ण हैं ,यह सारा संसार।  
                                   देते  आये  हैं  हमें ,   गुरु सदैव संस्कार।   ''



''गुरु -पूर्णिमा ''के पर्व पर गुरु की महिमा व उनके सम्मान के बारे में क्या कहुँ। गुरु पर जितना लिखो उतना ही कम हैं  गुरु ही हैं जो हमें सबसे पहले पाठशाल जाने पर हर छोटी -बड़ी बातें बताते हैं सिखाते हैं। 
गुरु जीवन का पहला कदम ,समाज में रखना व उसे जमाये रखना सिखाते हैं। गुरु हर परिस्थिति का सामना कठोरता से करना सिखाते हैं। गुरु डांटते हर हैं, कभी प्यार से समझाते हैं। कभी सक्ति से आदेश देते हैं। वो गुरु की हमारे प्रति चिंता व प्यार हैं। 



 


 
                             ''गुरु की महिमा क्या कहुँ ,बुद्धि में वो महान। 
                                 अक्षर - अक्षर   से   हमें   ,देते    आये     ज्ञान। ''



गुरु के जैसा ही समय भी एक बड़ा गुरु हैं। गुरु ही हैं जो समय का सदउपयोग व समय की पाबंदी, हमें बचपन से ही सिखाते हैं। गुरु ही हैं जो सबसे पहले बताते हैं की समय सबसे मूल्यवान वस्तु हैं। गुरु हमेशा कहते हैं जो समय का उपयोग सही तरीके से करते हैं।  वे जीवन में हमेशा सफलता को पाते हैं। 
समय की शक्ति सबसे बड़ी शक्ति हैं जो गुरु द्वारा ही बताए जाती हैं। 






                                        ''गुरु कहलाते है गुणी ,रच दे नव संसार। 
                                         जीवन के हर शब्द का ,गुरु बतलाते सार। ''








गुरु ही हैं जो बच्चे के मन में 
स्वप्न भरते है। उसमे नये -नये रंग भरते हैं और उसे पूरा करने का मार्ग भी गुरु ही प्रसस्त करते हैं। गुरु बच्चे के सपनों  में, अपने ज्ञान के  पंख लगाकर, उसे खुले आकाश में उड़ना सिखाते हैं।


         जैसे ===हमारे पूर्व राष्ट्रपति  डॉक्टर --ए.पी. जे. अब्दुल कलाम के गुरु ने किया था। अब्दुल कलाम के गुरु ने उनके सपने को खुले आकाश में खुली आँखो से देखा था और उसे पूरा करने का साहस भी दिया था। 

बच्चे के मन में अपने स्वप्न को सच करने की इच्छाशक्ति गुरु जी के द्वारा ही दी जा सकती हे। 
                                                   "गुरु के ज्ञान बहुत शक्ति हे "






                                      "कुमति कीच चेला भरा ,गुरु ज्ञान जल होया।  
                                         जनम जनम का मोर्चा ,पल में डारे धोया 







     गुरु पूर्णिमा पर गुरु जी को सम्मानित किया जाता है।  वैसे तो गुरु जी को सिर्फ एक  ही दिन याद नहीं किया जाता।  गुरु जी के ज्ञान से जीवन में पग -पग पर पथप्रदर्शित होता है। गुरु जी कभी माँ ,कभी पिता, कभी भाई, कभी बहन ,कभी दोस्त और कभी राहगीर बनकर जीवन में हमें कुछ न कुछ सीखा ही जाते है और जीवन की कठिन परिस्थितियों से हमें लड़ना तथा डट कर उनका सामना करना बता जाते है। 

                                   गुरु समान दाता  नहीं ,याचक सिप समान। 
                                   तीन लोक सम्पदा ,सो गुरु दीन्हो दान। 



        


                     गुरु जी और जीवन की शिक्षा सहसंबंधित है। गुरु जी की शिक्षा जीवन पर प्रभाव डालती है। अच्छी  शिक्षा जीवन को स्वर्ग बनती है। गुरु के द्वारा दी गई शिक्षा अगर दोषपूर्ण हो या अधूरी हो तो जीवन को नर्क बना सकती है। यदि एक गुरु अपने  शिष्य को उच्चकोटी की शिक्षा देता हे, तो मनुष्य में गुणों का ,कुशलता का,कल्पनाशीलता का ,कर्तव्यनिष्ठता का ,सहजता का,सचेता का ,करुणा का ,विश्वास का,आशावादिता आदि का समावेश  हो जाता है। गुरु के द्वारा  दिए इन गुणों  से  शिष्य  का भविष्य अत्यधिक उज्ज्वल और प्रसन्ता से भर जाता है। 









गुरु का जीवन में होना बहुत महत्त्व रखता है। शास्त्रों में भी ये लिखा हैं। 
                                                                                       
                                                 "गुरु बिना ज्ञान कहा रे "


भारत में कई ऐसे महान गुरु हुए थे और आज भी हैं. . . . . . जैसे शुश्रुत ,धन्वंतरि ,ब्रह्मगुप्त ,बुद्ध ,महावीर स्वामी ,चाणक्य आदि. . . .  
चाणक्य एक ऐसे गुरु थे ,जिन्होंने एक साधारण बालक चंद्रगुप्त मौर्य को एक महान सम्राट बनाया।      
                          चाणक्य ने कहाँ था....... .''' राजा होते नहीं ,बनाये जाते हैं  '''   


   

                    

                                ''  गुरु मूर्ति आगे खड़ी ,दुतिया भेद कुछ नहीं  । 
                                       उन्ही कूं  परनाम करि ,सकल तिमिर मिटि जाहिं।। ''
                              
अर्थ  ===  [ कुबुद्धि रूपी कीचड़ से शिष्य भरा ,उसे धोने के लिए गुरु का ज्ञान जल हैं। 
                     जन्म -जन्मान्तरों की बुराई ,गुरु क्षण ही में नष्ट कर देते हैं।   ]






प्राचीन समय में शिक्षा का आधार गुरु -आश्रम थे। सभी बच्चे गुरु के आश्रम में ही रहते थे ,वही सभी बालकों को शारीरिक व् मन मानसिक गतिविधियों का विकास होता था। उस बाल्यकाल में जब तक बालकों की शिक्षा पूर्ण नहीं हो जाती   वह गुरु के आश्रम में ही रहते थे। गुरु ही उनके माता पिता होते थे। गुरु की आज्ञा ही सर्वमान्य होती थी। 

  उस समय बच्चों को मानसिक ज्ञान के साथ आध्यात्ममिक ज्ञान व् संस्कार भी सिखाये जाते थे जो शायद आज कहीं खो गये हैं। 










                                '' गुरु मिले तब ही मिले ,जीवन में उजयारा। 
                                    वरना जीवन में सदा ,रहे अंधियारा  .''

                                                              माँ
. .   
जीवन की पहली गुरु माँ होती हैं। हम सभी उन्हें नहीं भूल सकते हैं। जीवन का पहला पाठ वहीसिखाती हैं। गुरु से परिचय भी वही करवाती हैं।



                        

                     

               " जननी जन्मभूमिश्च  
                                  स्वर्गादपि गरीयसी   ''''

                    
                             '''सीखा सबकुछ आपसे ,बहुत लिया हैं ज्ञान। 
                     सिखलाया हैं आपने,      सबको देना मान         '''






जीवन में केइ  लोग होते हैं ऐसे होते हैं जो हमेशा मार्गदर्शन प्रदान करते हैं उनमे से मेरे कुछ अपने भी हैं।  


    १.     सबसे पहले    मेरे पति जो एक आदर्श पति मित्रं और एक सच्चे गुरु हैं। जीवन के कठिन पथ पैर सरलता से चलना सिखाया हैं। 

 
    २  . मेरा बेटा,, जो आज के जमाने की नई टेक्नोलॉजी सिखाता हैं ,कई बार गलतियाँ होने पर भी, एक सच्चे गुरु की तरह बार बार सिखाता हैं। ` 

           
     ३. कुछ जटिल और कठिन रास्तो का पथ प्रदर्शक मेरे विद्यालय के संस्थपक ने किया। 

     ४  . और आखरी मेरी विद्यालय की प्राथनाध्यपिका,जिन्होंने कुछ खट्टी मीठी बातों का गुरु बनकर ज्ञान दिया। 







                     ''    गुरु तो गुरु हैं उनकी जितनी प्रशंसा करो कम हैं। ''


मुझे किसी न किसी रूप में शिक्षित करने वाले समस्त गुरुजनों के चरण  -  कमलों में मेरा 
शत -शत नमन।  





           


  '' आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई ''




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12 टिप्पणियाँ

  1. गुरू महिमा का सरल व सुंदर चित्रण, मन के भावों का अद्भुद व मर्मस्पशी अंकन, मेरे दिल को छू कर भावविभोर कर गया.....................!


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  2. भूल सुधार-(मर्मस्पर्शी)

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