देवउठनी एकादशी

 देव उठनी एकादशी ( ग्यारस) को प्रबोधिनी/देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। यह हिंदू सनातन संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्यौहार (उत्सव )माना जाता हैं। भगवान विष्णु के 4माह की निंद्रा (शयन)से जागने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता हैं।    हमारे शास्त्रों में जिसे चातुर्मास कहते हैं। यह सनातन धर्म ग्रंथो में हिंदू पंचांग के कार्तिक माह के शुल्क पक्ष के 11वे दिन याने ग्यारस को मानते हैं। अधिकतर अंग्रेजी माह के नवंबर माह में ही आती हैं।                              _2         देवउठनी ग्यारस   _   देवउठनी एकादशी भगवान कृष्ण की भक्तों और भक्तों के मन भाव और वचन में बहुत महत्वपूर्ण होती है । क्योंकि भगवान विष्णु के ही अवतार " श्री कृष्णा "है ,उन्हीं की पूजा अर्चना के रूप में देवउठनी ग्यारस मनाई जाती है।  देवउठनी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है।   12 माह कीग्यारस में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है । यह एकादशी शुभ मांगलिक कार्यक्रम विशेष कर विवाह, गृह प्रवेश ,मुंडन आदि के लिए है ।इस देवउठनी एकादशी के साथ ही सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है ।कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की देवउठनी ग्यारस इस बार  * 2 नवंबर 2025* को मनाई जाएगी । कहा जाता है कि भगवान विष्णु जो 4 माह तक चयन अवस्था में रहते हैं ,वह इस दिन जागृत होकर सभी को मंगल आशीष देते हैं । इस दिन भगवान विष्णु के 4 माह की शयन निद्रा  समाप्त होती है,और लोग स्वागत का उत्सव मनाते हैं।                                                                3_ देवउठनी ग्यारस का महत्व    _चतुर्मास महीने में भगवान विष्णु सागर के अंदर शयन अवस्था में विश्राम में रहते हैं ।वह इस माह के बाद पुनः अपना कार्य आरंभ करते हैं ।यह एकादशी विष्णु भक्तों के लिए अपनी साधना को जागृत करने का समय है ,जब वह अपनी भक्ति और अधिक दिव्या कर भगवान श्री कृष्ण से जुड़ सकते हैं। भगवान विष्णु सभी जनों पर अपनी कृपा ,दया ,करुणा, प्रेम बरसाते हैं।  जो लोगों की आस्था ,विश्वास, भक्ति से उनके आगे के रास्ते का मार्गदर्शन करती है।  श्री भगवान विष्णु (कृष्णा )से हमेशा सभी के जीवन के लिए आध्यात्मिक रूप से सुख, समृद्धि ,बढ़ाने के लिए प्रार्थना करते हैं ।हमारे धर्म में और ग्रंथों में लिखा है ,की *दिवाली *के बाद जो पहले ग्यारस एकादशी आती है। उसे देवउठनी एकादशी कहते हैं ।इस दिन भगवान विष्णु 4 माह की  शयन निद्रा  में रहते हैं। तो देवउठनी ग्यारस पर उठ जाते हैं ,और उनके विवाह के साथ ही सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।       4      व्रत _   सभी जन अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत, उपवास रखें । यह सभी अपने अनुसार कर सकते हैं ।एकादशी का व्रत दिल ,दिमाग को नियंत्रित करने और भगवान विष्णु (कृष्ण )से सीधे मिलने का एकमात्र उपाय है ,,.।                                                                             5    जब और प्रार्थना _  " श्री हरि कृष्ण महामंत्र"                                "      राधे कृष्णा ,राधे कृष्णा   "      "                                     "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः "* आदि मंत्र का स्मरण करते रहें। और भी मंत्र है,।  "  विष्णु सहस्त्रनाम "   "विष्णु पुराण " इससे आपके मन को आध्यात्मिक शांति और कई जन्मों का पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान का कीर्तन आदि भी करते रहें ,कथा सुनाना इस दिन एकादशी की कथा भी सुने और भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर पूजन अर्चना करें ,दान भी करें ।                                                  6    दान का महत्व। _  एकादशी के दिन आप सभी जन दान पुण्य भी करें।  अपनी क्षमता के अनुसार कुछ भी दान किया जा सकता है।  आपकी वजह से किसी को थोड़ी सी भी खुशी मन की शांति मिले वह सबसे बड़ा दान है ।यह आपके जीवन को विकासशील खुशहाल और उन्नत बनती है।                                                                          7  भौतिक और आध्यात्मिक सुख संपदा _     की प्रतीक एकादशी सनातन धर्म ग्रंथो में बताया गया है, कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु( कृष्ण )का विशेष आशीर्वाद मिलता है ।सर्वोत्तम भौतिक सुख आध्यात्मिक धन संपदा देने वाली एकादशी का उपवास व्रत करने से कई जन्मों का पुण्य मिलता है ।                                                              8 तुलसी विवाह   _  मान्यता है ,कि देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह के साथी सभी मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं । भगवान विष्णु के ही आठवे अवतार श्री शालिग्राम के साथ मां तुलसी का विवाह संपन्न होता है ।इस माह   *   1 नवंबर। **  को देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न होगा।  उसी के साथ  कई नव जोड़ भी विवाह के सात जन्मों के बंधन में बन जाएंगे।  देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु कृष्ण की पुनः जागृत चेतना में आने का उत्सव और पवित्र दिन है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु के प्रति अपने प्रेम और भक्ति भाव प्रकट करते हैं अपने कर्म वचन से शुद्ध होते हैं।                                                                       9    पर्यावरण प्रकृति का अद्भुत  संबंध_देवउठनी एकादशी मूल रूप से दो ऋतुओं के बीच का चरण है। शरद ऋतु और शीत ऋतु एक का अंत और एक का आरंभ ।इसलिए भक्त और प्रकृति की सुंदर मनमोहक "चित्र के लिए भगवान श्री हरि का बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं। इस दिन *दीपदान *का भी बहुत महत्व है । जो कार्तिक माह करते हैं ,उसमें इस दिन नदी, तालाब ,में दीपदान करने का चलन है। मंदिरों में पूजा उत्सव ,दीप ,सजावट रोशनी ,रंगोली आदि विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हमारे धर्म में इसे बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है । देवउठनी ग्यारस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

For more query please comment