womem day [ bhartiya mahila ]

        


 

                                     नारी 

भारत देश ऐसा देश हैं ,जहाँ हमेशा ही नारी शक्ति का योगदान रहा हैं और उसे हमेशा सराहा भी गया हैं। 
कई ऐसी महान नारिया हुई हैं ,जिन्हे आज भी देवी रूप में पूजा जाता  हैं। 

                                                   






बदलते समय के साथ महिलाओ ने अपनी विकास की गाथा खुद ही लिखी हैं। उन्हें जो भी भूमिका मिली उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ निभाई। 




भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है।हमारे इतिहासों में लिखा हैं  

अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।उस घर में हमेशा लक्ष्मी निवास करती हैं।जिस घर में नारी का सम्मान होता हैं , वह घर स्वर्ग समान होता हैं ,वहाँ धन ,धान ,सुख ,सम्पदा हमेशा रहती हैं।






  किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उसमें नारी का जगह-जगह अपमान होता चला जा रहा है।  महिलाए अब 'भोग की वस्तु रह गई हैं। हर पुरुष नारी को अपनी जागीर समझने लगा हैं।  'अपने -अपने तरीके' से उसका  उपयोग कर रहा है।वह नारी का सम्मान और इज्जत करना दोनों भूल गया हैं।  यह बेहद चिंताजनक हें। 





लेकिन भारतीय संस्कृति को बनाए रखते हुए , हम सभी को महिलाओं , का सम्मान बनाये रखना बहुत आवश्यक हैं ,इस और सभी को आत्म मंथन करना चाहिए, ताकि नारी के आज के जीवन को पुराने समय के समान  सम्मान जनक बनाया जा सके। 

जिस देश ,में महिलाओं का सम्मान होता हैं ,उस देश का विकास बहुत हद तक उन्नत होता हैं,और वह  देश सभी क्षेत्रो में खूब तरक्की करता हैं। 
     




पुराने समय में नारी पूर्ण रूप से स्वतंत्र थी ,किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं था। नारी इच्छा ही सर्व परी थी। अपने मन की करना नारी का हक़ था। उसकी इच्छा को  पिता ,भाई ,पति और समाज सभी पूरा सम्मान देते थे।ऐसी कई महिलाए थी जो उच्च पद पर विराज मान रही। 

प्राचीन समय में महिलाओं की उन्नति सुदृढ़ थी। उस समय पुत्र का महत्व था, पर पुत्रियों का भी महत्व कम नहीं था। उपनिषद काल में पुरुषों के साथ महिलाओं को भी बराबर शिक्षित किया गया। 


महिलाये भी पुरुष के समान सैनिक शिक्षा ग्रहण करती थी और भी कई भारतीय स्त्रिया थी ,जिन्होंने  भारतीय संस्कृति में अपना अमूल्य योगदान दिया। 





महाभारत काल से नारी के पतन की बुरी स्थति शुरू हुई और मध्य काल के आते -आते वह पुरुष की दासी और गुलाम बन गई। नारी को जीव न मानकर ,सिर्फ भोग विलास की वस्तु माना जाने लगा। 












मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है, माँ को स्नेह ,प्यार ,ममता की देवी कहाँ हैं। माँ अपने रूप में महानतम हैं उनका एहसान बच्चे कभी चूका नहीं पाते हैं। उनका त्याग ,समर्पण अतुल्य हैं। 



किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक  है। सभी धन की लालसा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैंऔर माँ का महत्व नहीं समझ पा रहे।  
जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य हैं , जो वर्तमान में कम हो गया है, आजकल की नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।




आज की महिलाओं की बात करे ,तो वो एक अदम्य साहस और वीरता पूर्ण महिला हैं ,जो हर हाल में अपने को साबित कर सकती हैं। कई क्षेत्रों में तो वो अपना हुनर दिखा चुकी हैं। 



हमारे देश में हर महिला में शक्ति हैं ,जो समाज और दुनिया दोनों को बदल सकती हैं। नारी अपना हर किरदार बखूबी निभाती हैं। चाहे :- माँ ,बहन ,दोस्त ,पत्नी ,बहु ,ननद  ,भाभी ,भुआ ,चाची ,सभी रिश्तों को उसने अपने प्रेम ,स्नेह से सजाए रखे हैं। 
आज की नारी तो अब बाहरी दुनिया में भी अपने कदम खूब अच्छे से जमाये हुए हैं। 


नए भारत में महिलाओं  के कार्य  बहुत बड़े बदलाव की और जा रहे हैं। अब महिलाए किसी भी भूमिका या रोल में अपने आप को पूरी तरह से सक्षम मानती हैं। बस एक अवसर की जरूरत हैं। 






हर क्षेत्र में नारी ने अपनी छाप बनाई हैं। जो महान महिलाए हैं वे अपने दम पर आज उच्च मुकाम पर हैं 
जैसे :- 




   इंदिरा गाँधी को प्रिदर्शिनी भी कहा जाता हैं। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी। 
वे एक ऐसी महिला थी, जिसने भारतीय राजनीती ही नहीं बल्कि विश्व राजनीती के क्षितिज पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा। 


  रोमन कैथोलिक नन थी, जिन्होंने १९४८ में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ग्रहण की थी। इन्होने १९५० में एक चैरेटी ट्रस्ट की स्थापना की थी। 
४५ सालों तक गरीब ,बीमार ,अनाथ ,और बेसहारा  मरते हुए लोगों की मदद की और लोगों को भलाई के मार्ग पर चलना सिखाया। 



एक किशोरी के रूप में किरण बेदी ने १९६६ में राष्ट्रीय जूनियर वर्ग के टेनिस चैम्पियन का ख़िताब जीता। 
प्रथम महिला  आई  पी एस अधिकारी किरण बेदी ने दिल्ली ,गोआ ,चंडीगढ़ और मिजोरम में अपनी सेवाए दी। बेदी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये। 




आज की महिला परिवार की जिम्मेदारी के साथ ,बहार की सभी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे से निभा रही हैं। घर, ऑफिस,बाजार ,दुकान ,नौकरी सभी को ईमानदारी से अपना कर्तव्य समझ  निभा रही हैं।  
      


पिता के घर जब  हैं ,तब तक उनका सहारा होती हैं। फिर शादी के बाद अपना नया किरदार निभाती हैं। जिस घर जाती हैं उसे अपना बना हैं। 




                      ये होती हैं औरत 




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