Karva chauth vrat

 
           

करवा चौथ  हिन्दुओं का  मुख्य  पर्व हैं। '' यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। यह त्यौहार सिर्फ सुहागिन महिलाएँ मनाती हैं, यह पर्व सुबह सूरज के उगने से पहले शुरू होकर रात में चाँद दर्शन पर समाप्त होता हैं। सभी महिलाएँ करवाचौथ का व्रत बड़े उत्साह ,ख़ुशी ,श्रद्धा  के साथ करती हैं। ये व्रत पति की दीर्घायु व अपने अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। इस व्रत की यह खासियत हैं, की इसे केवल सौभाग्यवती [शादी -शुदा ]महिलाये ही करती हैं।







 इस व्रत को रखने का अधिकार किसी भी स्त्री को हैं ,चाहे वह किसी भी जाती ,धर्म ,वर्ण ,या समुदाय की हो। 
करवा चौथ महिलाओं का  सबसे प्रिय पर्व हैं। इस दिन महिलाये अपने पति की दीर्घ आयु की कामना करती हैं। उनके साथ जीवन जीने को सात  जन्म का साथ माँगती हैं। 

करवा :- मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किया बर्तन करवा कहलाता हैं ,उस पर एक नलीदार टोटी भी बनाई जाती हैं। फिर उस में रक्षा सूत्र बांधकर हल्दी व कंकु से स्वस्तिक बनाते हैं, फिर उस में जल भरके ,पैसे ,चने ,लच्छा ,चावल आदि डालकर रखते हैं। 










जब बहू पहली बार व्रत शुरू करती हैं ,तो सास उसे करवा देती हैं ,उसी तरह बहू भी सास को करवा देती हैं। पूजा करते समय और कथा सुनते समय दो कर्वे रखते हैं ,एक से महिला अर्घ्य देती हैं। दूसरे से जिसमे पानी भरकर ,बायना देते समय उसकी सास को देती हैं। सास उस पानी को किसी पौधे में डाल देती हैं। 
दूसरे से चँद्रमा को अर्घ्य देती हैं। 
कुछ महिलाएँ आजकल स्टील का लोटा भी स्तेमाल करती हैं। 






सरगी :-  यह रस्म कोई भी महिला जब  करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो उसकी सास उसे सरगी बनाकर देती हैं। सरगी एक भोजन की थाली हैं ,जिसमे खाने की कुछ चीजे होती हैं ,जिसकों खाने के बाद दिनभर निर्जला उपवास रह सके। रात में चाँद की पूजा करने के बाद ही खाना खाया जाता हैं ,क्योकि सरगी को खाकर व्रत की शुरुवात की जाती हैं ,इसलिए सरगी में ऐसी चीजे होनी चाहिए जिन्हें खाने के बाद भूख और प्यास न लगे और दिनभर एनर्जी बानी रहे। थाली में सूखे मेवे ,फल ,और जूस होते हैं। 





विधि  :-सूर्य उदय से पहले स्नान करे और व्रत का संकल्प ले। व्रत को  दिन, दिनभर बिना पानी के याने निर्जला रखा जाता हैं। 
१. सबसे पहले आप जहाँ पूजा करने वाले हैं ,उस स्थान पर लेप करे। 
२. अब आठ पूरिया बनाए जिन्हे अठावरी बनाकर ,हलवा और मिठाई रखे। 
३. पीली मिटटी से गौरी की मूर्ति बनाये और उनकी गोद में गणेश भगवान को भी बिठाये। 
४. माँ गौरी को उस लेप वाले स्थान पर पटिये पर बिठाये फिर सारा श्रंगार करे। 
५. मिट्टी  का करवा ले ,रोली से उस पर स्वस्तिक का चित्र बनाये। 
६. अब विधि पूर्वक गौरी ,गणेश की पूजा करे।

कथा :- कहा जाता हैं की करवा नाम की एक पविव्रता स्त्री के नाम पर ही करवा चौथ का नाम करवाचौथ पड़ा हैं। 
''  करवा अपने पति के साथ नदी किनारे गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था। तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। उसका पति करवा -करवा चिल्ला कर अपनी पत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी -भागी आई और आकर उसने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया। 



और फिर वह यमराज के पास गई। यमराज से कहने लगी -हे प्रभु मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया हैं ,उस मगर को आप ,इस अपराध  में नरक में ले जाओ।,फिर यमराज बोले ''लेकिन अभी इस मगर की आयु पूरी नहीं हुई , में  इसे नहीं मार सकता। 
करवा बोली मैं आपको श्राप देकर खत्म कर दूँगी ,अगर आपने उस मगर को नहीं मारा। 
यमराज यह सुनकर डर गए और करवा के पति को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। तभी से उस करवा महिला को '' करवाचौथ ''  माता के रूप में पूजते हैं। 

चाँद की पूजा :-   रात में जब चाँद निकले तो उसकी पूजा ,फूल ,कुंकुम ,हल्दी रोली से करे ,फिर चाँद को पानी से अर्घ्य दे। 
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पति की पूजा :-चाँद की पूजा के समय पति को अपने पास ही खड़ा रखे जैसे ही छलनी में चाँद को देखे वैसे ही पति को भी छलनी से देखे ,फिर पति के माथे पर तिलक लगाए  और मिठाई खिलाये। 
फिर उनके हाथ से पानी पिए। 



इस तरह भारतीय महिलाये अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं।                                                                                                                                       

   
                            

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पूजन सामग्री :-इस व्रत में माँ गोरी व गणेश का पूजन किया जाता हैं। 

'' चंदन ,शहद ,अगरबत्ती,फूल ,कच्चा दूध ,शक़्कर ,घी ,दही ,मिठाई ,गंगाजल ,चावल ,कंकु ,फल ,दिपक ,रुई ,कपूर ,हल्दी ,पानी का लोटा ,मिट्टी का करवा ,चलनी ,आसन ,हलवा ,आठ पुरियो की अठावरी ,गेहूँ ,गौरी बनाने  लिए पीली मिट्टी आदि। 
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थाली सजाए :-  करवा चौथ पर सजी थाली का बहुत महत्व पूर्ण हिस्सा हैं। थाली सजी-धजी बहुत सुन्दर लगती हैं। इसे      ''     बाया   '' नाम से पहचानते हैं। 

१. एक साफ थाली ले ,उस पर अपनी अनामिका उंगली से स्वस्तिक बनाये। 
२. आप थाली पर गिफ्ट पेपर भी चिपका कर उसे सजा सकते हैं। 
३.  मोती ,नग और कई सजावटी सामन लगा कर थाली को सुन्दर बना सकते हैं। 
४.  फूलों से भी थाली सजा सकते हैं। 
५. कांच से भी सुन्दर डिजाईन बना सकते हैं। 
करवा चौथ में रंगोली भी बनाई जाती हैं ,ये पर्व किसी त्यौहार से कम नहीं। 
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