💕💕💕 '' नवरात्रि भक्ति की शक्ति ''💝💝💝
हिन्दू धर्म के अनुसार जगत की पालक माँ भगवती सम्पूर्ण जगत की शक्तिस्रोत या साधक हैं। माँ की इच्छा शक्ति से ही इस दुनियाँ के सभी कार्य सम्पन्न होते हैं।
💏💏माँ शक्तिस्वरूपा दुर्गा को खुश ,प्रसन्न करने के लिए वर्ष में दो बार नवरात्रि मनाई जाती हैं। जैसा इसके नाम से ही स्पष्ट होता हैं नवरात्रि याने नौ दिनों का उत्सव जो सभी बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
देश भारत :-👌👌👌
मेरे देश भारत में नवरात्रि का बड़ा महत्व हैं। नवरात्रि सभी को सुख ,समृद्धी प्रदान करने वाली माना जाता हैं। माँ अपने सभी पुत्र -पुत्रियों को मन वांछित फल देती हैं ,माँ जो सिद्धि दायनी हैं जिनकी भक्ति से सब कष्ट मिट जाते हैं।
सालभर में नवरात्रि को पूजापाठ और भक्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया हैं।
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'' नवरात्रि भक्ति की शक्ति '' का पर्व हैं। ''
1 ये साल में दोबार मनाई जाती हैं ,एक चैत्र नवरात्रि जो हिन्दू माह के नववर्ष के आगमन के साथ चैत्रमाह में आती हैं जब धरती धन -धान्य से भरी होती हैं।
2 दूसरी जो आश्विन माह में आती हैं जिसे हम सभी '' शारदीय नवरात्रि '' कहते हैं। हम सभी बड़े उत्साह ,उमंग और धूमधाम से मनाते हैं।
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नवरात्रि में हम सभी माँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए उनके सामने डांडिया रास कर अपनी ख़ुशी सब के साथ मनाते हैं।
💕💕हमारे शरीर व मस्तिष्क के भीतर - रजोगुण ,तमोगुण ,और सतोगुण ये तीन प्रकार के गुण विराजमान रहते हैं। इन तीनों गुणों का मिलन हमारे त्यौहार '' नवरात्रि ''में समागत होता हैं।
💗 हम सभी त्यौहार बड़े उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं ,सभी सगेसंबंधियो और परिवार सहित खुशियाँ मनाते हैं।
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वातावरण व प्रकृति के साथ -साथ हमारे मन मस्तिष्क की चेतना को '' नवरात्रि उत्स्व '' कहते हैं। नौ दिनों के इस उत्स्व में हम सभी माँ शक्ति दुर्गा की पूजा करते हैं।
नवरात्रि नौ दिनों का त्यौहार हैं ,जिसमें पहले 3 दिन '' तमोगुणी '' प्रकृति की पूजा व आराधना होती हैं।
अगले 3 दिन ''रजोगुणी '' प्रकृति की उपासना और आखरी 3 दिन '' सतोगुणी '' की पूजा उपासना होती हैं।
इसीलिए कहाँ हैं की '' नवरात्रि भक्ति की शक्ति '' का पर्व हैं। 💦💦💚💚💛💛💜
हम नवरात्रि में माँ के विभिन नौ स्वरूपों की भक्ति करते हैं। हमारी भक्ति आराधना में इतनी शक्ति और विश्वास होता हैं,कि हम और हमारे आसपास का सारा माहौल [वातावरण ] खुशनुमा हो जाता हैं।
नवरात्रि में माँ के भिन्न -भिन्न रूपों की भक्ति व पूजा होती हैं।
माँ दुर्गा [भगवती ] सिर्फ हमारे मन में ही नहीं वे समस्त जगह सभी जीवों में निवास करती हैं।
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कहते हैं :- '' या देवी सर्वभूतेषु ,शक्ति रुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै - नमस्तस्यै नमो नमः।। ''
माँ की भक्ति में हम अपने सभी ,कष्ट ,दुःख ,परेशानियाँ सभी को माँ के चरणों में अर्पित कर चिंता मुक्त हो जाते हैं।
नवरात्रि पर्व में माता के भक्त अपनी शक्ति और भक्ति के अनुसार व्रत और पूजा आराधना करते हैं।
प्रारम्भ :- 💖💖💖💖💔
नवरात्रि नौ दिनों का त्यौहार हैं। सबसे पहले दिन का महत्व ,आदिशक्ति माँ के चरणों में नमन कर शुभ महूर्त में घट स्थपना की जाती हैं फिर आरती और व्रत संकल्प लेते हैं।
विधि और घट स्थपना :💦💦💧💧💧💧💢
- इस त्यौहार पर सबसे पहले ब्रह्म महूर्त में स्नान आदि कर घर के सभी को प्रणाम कर माँ दुर्गा ,गणेश जी का आह्वान करे। इसके बाद कलश की स्थापना करें।
कलश में आम के पत्ते व मिटटी, जल और कुछ गेहूँ के दाने डालें फिर कलश पर नारियल को लाल कपड़े में बांध कर ,आम के पत्तों के साथ कलश पर रखें। उसके बाद रोज धूप -दिप से पूजा ,आरती करें ,माँ भगवती को नमन कर मन ही मन इच्छा अनुसार व्रत ,दान ,पुण्य का संकल्प ले।
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कलश में रोज हल्का जल का छिड़काव करें ,कहते हैं जितने हरे -भरे ज्वारे उगते हैं उतनी ही घर में सुख -समृद्धि , धन ,मान सम्मान आता हैं।
आखरी दिन कन्या पूजन कर , प्रसाद ग्रहण कर ज्वारे नदी में विसर्जित करें।
माँ के भिन्न -भिन्न नौ स्वरूप :-👩👩👩👩👩💖💖💖
सबसे पहले दिन माँ भगवती को '' शैलपुत्री '' के रूप में पूजा जाता हैं। हमारे पुराणों में कथा हैं कि राजा हिमालय के पुण्य के रूप में माँ शक्ति ने उनके घर '' पुत्री '' रूप में जन्म लिया। उसी दिन को नवरात्रि के प्रथम दिवस के रूप में मनाते हैं।
माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए बहुत कठिन तप किया ,जिसके प्रभाव से तीनों लोकों में एक आलौकिक चमक हो गई। माँ पार्वती का रूप कठोर तप से '' ज्योरतिर्मय तेजश्वी '' हो गया। जब से दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारणी के रूप में पूजा अर्चना की जाने लगी।
जैसे की माँ के नाम से ही स्पष्ट होता हैं की, चंद्रघंटा तो '' मधुर घंटे की धुन '' सुनकर ही अशुभ और विनाशकारी ताकते तुरंत प्रभाव से नष्ट हो जाती हैं।
माँ चंद्रघंटा शेर पर विराजमान और कई प्रकार के अस्त्र -शस्त्र से हमेशा अपने भक्तों व बच्चों की रक्षा करती हैं।
पुराणों में लिखा हैं कि माँ कुष्मांडा की हँसी इतनी मनमोहक थी कि उससे ही पुरे '' ब्रह्माण्ड '' का निर्माण हुआँ। माँ कुष्मांडा अष्टभुजी हैं ये रूप सबसे विशेष हैं।
माँ के हाथों में कमंडल ,अमृत -कलश ,चक्र ,मनोवांछित वरदान देने वाली माला भी हैं।
5 . स्कंदमाता :- 💔💞💞
माँ स्कंदमाता के पुत्र '' स्कन्द '' हैं जिन्हें देवता और असुरो के बीच युद्ध में देवताओं का सेनापति बनाया गया था। माँ स्कंदमाता इस रूप में अपने बेटे ''स्कन्द '' को अपनी गोद में लिए बैठी हैं।
माँ कात्यायनी का जन्म एक ऋषि ''कात्यायन '' के कठोर तपस्या करने से उनकी पुत्री के रूप में प्राप्त जन्म हुई और कात्यायन ऋषि के नाम से ही '' माँ कात्यायनी '' कहलाई।
माँ कात्यायनी का जन्म ''राक्षस महिषासुर '' को मारने के लिए ही हुआँ था।
कहते हैं जिन लड़के लड़कियों का विवाह नहीं हो रहा हो ,तो उन्हें '' माँ कात्यायनी ''की पूजा अर्चना करनी चाहिए ,जिससे उनका विवाह जल्दी हो जाता हैं।
सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना का दिन हैं। यह माँ भगवती का बहुत ही विकराल रूप हैं। माँ कालरात्रि का वाहक ''गधा '' हैं ,इनके इस रूप में माँ गधे पर सवार अपने हाथों में कांटा [कटोरा ] और कटार लिए विराजमान होती हैं।
माँ के इस विकराल रूप से सारी बुरी शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं।
माँ भगवती का ये सबसे सुन्दर, मनमोहक और सौम्यरूप हैं। माँ महागौरी '' वृषभ '' पर विराजमान होती हैं ,इनके हाथो में त्रिशूल और डमरू होता हैं और दो हाथों से हमें आशीर्वाद व जीवन देती हैं।
👧👧 माँ पार्वती:-💞💞💞💞
'' कहते हैं जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की तो उनके शरीर का रंग पूरा काला पढ़ गया था ,तो भगवान शंकर ने उन्हें '' गंगाजल '' से स्नान करवाया और उनका रंग गौरपूर्ण हो गया। इसलिए इन्हे माँ गौरी कहते हैं।
नवरात्रि के आखरी नवे दिन माँ ' सिद्धिदात्री '' की भक्ति व् पूजा की जाती हैं। इनके आशीर्वाद से ही सारी शक्तियाँ मिलती हैं। सभी जन माँ के इस रूप की भक्ति कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सिद्धि ,मनवांछित फल पाते हैं।
माँ सिद्धिदात्री चतुर्भुजी हैं उनके चारों हाथों में शंख ,गदा ,कमल ,चक्र ,हैं। इनका वाहन शेर हैं।
2020 में 17 अक्टूबर को नवरात्रि की शुरुवात हैं जो पुरे नौ दिन रह कर दसवें दिन विजयादशमी पर पूर्ण होगी।
इस बार नवरात्रि का उत्स्व कुछ अलग रूप लिए होगा ,क्योंकि समय और परिस्थितियाँ कुछ बदल सी गई हैं। अभी जो समय '' COVID -19 '' का हैं ये ऐसा समय हैं ,जब हम सभी मिलकर उत्स्व का आयोजन नहीं कर सकते ,पर इससे हमारे त्यौहार व भक्ति में कोई कमी नहीं आई हैं
आज हम सभी भले ही दूर -दूर रहकर नवरात्रि मनाएंगे पर हम हमेशा सभी की खुशियों और स्वास्थ की कामना करते हैं
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'' 17 OCTOBER 2020 को नवरात्रि में शुभ घट महूर्त :-सुबह 6 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट पर खत्म होगा।
फिर अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा। ''💖💖💖
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