''अपने विचारों से आजाद और गुलाम बनती हैं हम '' [ महिलाएँ ]



  '' अपने विचारों से आजाद और गुलाम बनती हैं हम ''

                                                            [  महिलाएँ  ]

हमारे देश भारत को स्वतंत्र हुए एक अरसा बीत गया हैं ,लेकिन कहीं न कहीं हम [महिलाएँ] खुदको स्वतंत्र नहीं कर पा रही हैं। 

भारत का संविधान:-👩👩👩

👧भारत के संविधान ने सभी को👧 एक समान आजादी 💃💃💃[ स्वतंत्रता ]💃💃💃 दी हैं। महिलाओं को संविधान ने उतनी ही स्वतंत्रता दी हैं, जितनी की हमारे देश के हर एक पुरुष को। 

वर्तमान समय में चाहे गांव या शहर की महिलाओं हो अपने लिए एक सोच के साथ ''अपनी स्वतंत्रता पर खुद ही पहरा बिठा रखा हैं। ''

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महिलाएँ अपने लिए💏💏💏 आजाद और गुलामी 💏💏💏के नियम खुद ही सोच लेती हैं ,और उसमें खुद को बांध लेती हैं। फिर उड़ने की सोचे तो स्वार्थी हो जाती हैं। 

कभी इसलिए कुछ नहीं कर पाती कि ''लोग'' क्या कहेगें? तो कभी अपने हालत पर रोती रहती हैं। 

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किसी ने कहाँ हैं :-'' हर हार के सौ बहाने होते हैं और जीवन में जीत का सिर्फ एक। ''

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शास्त्रों के अनुसार हमें मनुष्य योनि तो न जाने कितने जन्मों के बाद मिली हैं। ईश्वर ने मानव जाती को जन्म दिया ,जब जन्म देने वाले ने कोई अंतर नहीं किया तो हम ईश्वर के नियम से निकल कर मानव के बनाये नियमों में बंध कर क्यों रह गए ,तो क्यों न थोड़ी मेहनत से अपने [ महिला ]😎😎😎😎 हिस्से की स्वतंत्रता को पाकर इस जीवन को श्रेष्ठ व खुशनुमा बना ले। 




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कब होगी आजाद :- 

महिलाएँ अपनी ही सोच से आजाद और गुलाम बनती हैं। आज भी हर घर में लड़कियों को इतना महत्व नहीं दिया जाता। आज भी लड़की के जन्म पर कई घरों में न उत्सव हुआँ न ही ख़ुशी हुआँ करती हैं। उन्हें न परिवार में खास अहमियत न ही घर में कोई महत्व देता हैं ,फिर भी खुश रहती हैं और सब को खुश रखती हैं ।


 

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 💞💞💞💞💞💞 खुद को दे अहमियत :-💞💞💞


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हम किसी महिला से पूछते हे क्या करती हैं आप?  तो उत्तर होता हैं ''कुछ नहीं मैं तो गृहणी [ हाऊसवाइफ ] हूँ।''

 उस महिला का ये उत्तर सुन लगता हैं, की इसके लिए अपने काम की खुद की नजर में ही कोई अहमियत नहीं तो वह अपने पति ,बच्चों और परिवार ,समाज की नजर में क्या इज्जत ,मान -सम्मान पायेगी। 

मैं उन महिलाओं को कहना चाहुगी जो महिलाएँ घर में रहती हैं और दुसरो को कहती हैं की मैं कुछ नहीं करती बस घर में रहती हूँ और घर का काम करती हूँ। 

जो महिलाएँ केवल घर में रहती हैं कितने प्यार और शरमाते हुए दूसरों को यह बात बताती हैं कि मैं ''हाऊसवाइफ ''हूँ। वे खुद अपने कार्य की अहमियत नहीं मानती ,फिर बाद में उन्हें लगता हैं की समाज मुझें अहमियत नहीं दे रहा हैं। 

यह जान ले कि वह लोग जो आपसे जुड़े हैं वे भी उसी दिन आपको सम्मान,अधिकार व अहमियत देंगे जिस दिन आप खुद को सम्मान और अपनी अहमियत खुद करेगी। 

जब महिला को यह अहसास होगा की मेरा काम [हाऊसवाइफ ]भी महत्वपूर्ण हैं उसी दिन दूसरे सभी आपका सम्मान करेंगे। 

💚💚💖💖अपने महत्व का अहसास करे और दूसरों को कराये। खुद अहसास करे और गर्व करे इस बात पर कि आप घर में रहती हैं और पूरे घर की जिम्मेदारी बड़े अच्छे से निभाती हैं आप नहीं तो पूरा घर बिखर कर अस्त -व्यस्त हो जायेगा। 




अपनी चॉइस :- 😍👸👸👸👸👸

काम काजी होना या गृहणी [घर पर रहना ]यह महिला का अपना निजी फैसला हैं और दोनों ही अपने आप में परफेक्ट हैं। 

ये दोनों ही तरह की महिलाएँ अपने आप में एक -दूसरे से किसी बात में जरा भी कम नहीं। 

इसलिए सबसे पहले खुद को अहमियत देना सीखे तो खुद ही आजाद महसूस करेगी।

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बीती ताहि बिसार दे :-

हम सभी महिलाएँ अपने घर ,ऑफिस , गार्डन ,घर के कोने -कोने की तो सफाई हर सप्ताह या रोज करते हैं ,पर ''अपने मन '' के कोने का क्या? उस छोटे से मन पर पुरानी यादों और कई पुरानी बातों के जाले हमेशा ही जमा रहते हैं। 

मन बस बीती बातो को ही सोचता रहता हैं। कभी किसी ने कुछ बुरा किया ,तो वह मन को दुःख देता हैं ,और महिलाएँ कई -कई वर्षो पुरानी बातों को मन में छुपाये रखती हैं। जब भी उन पुरानी बातों को याद करती हैं तो दुःख के आंसू निकल ही आते हैं।

वे बातें जिन्होंने कल भी हमें दुःख दिया,और आज भी फिर उन्हें सोच दुःखी होने का क्या फायदा। 

किसी ने कहाँ हैं :- पुराने सामान की तरह अपने मन से यह पुरानी बातें जो हमेशा दुःख देती हैं निकाल देनी चाहिए। 

पुरानी बातों से ''खुद ''को आजाद करके जब आप देखेगी तो पायेगी की दुःख तो मनुष्य जीवन में सभी को मिलता हैं ,बस कोई उस दुःख को खुद पर हावी कर लेता हैं और डूब जाता हैं ,तो कोई उन दुःखों को याद करके दोबारा जीवन को बोझिल नहीं बनाता। 

एक हँसी हमेशा अपने चेहरे पर सजाये रखती हैं। 

अपने जीवन को देखने का नया नजरिया जगाईये। 

इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता की चुनौतियां की जिंदगी में कोई कमी नहीं हैं ,लेकिन उन पलों या क्षणों को ढूढ़िये जहाँ खुशियों के बगीचे में आप उम्मीद के फूलों को तोड़ पायेगी। 

इसलिए ''जो बित गई सौ बात गई नई शुरुवात करे अभी। ''


अपने विचारों को करे व्यक्त :-

हमेशा देखने में आता हैं की महिलाएँ किसी बात को कहे बिना ही उसे अपने  अंदर ही दबाये रहती हैं जबकि उस बात को न दबाएँ रखने की जरूरत हैं न बर्दाश्त करने की और न ही अपने आप को दुःखी कर घूटते रहने की। हम सभी जानते हैं कि हमारी कहि बात को 75% नहीं माने जाने की सम्भावना है,लेकिन उस बात को कहने का साहस तो करिए। जब तक हम अपनी मर्जी खुल कर नहीं बतायेगे तब तक दूसरो को कैसे पता चलेगा की आप क्या सोचती हैं, क्या चाहती हैं। जब तक हम अपनी मर्जी खुल कर नहीं बतायेगे तब तक दूसरों को कैसे पता चलेगा की आप क्या सोचते हैं क्या चाहते हैं। जब तक महिलाये  खुद को व्यक्त  करके अपनी मर्जी नहीं बताएगी तब तक दूसरे कैसे आपके मन की बात जानकर उसे मान पाएंगे। 

एक छोटा सा उदाहरण बताती हूँ :- सब के घर में रोज खाना बनता हैं उस खाने में हम अपनी पसंद का कुछ नहीं बनाती हैं बस रोज पति व बच्चों की पसंद के अनुसार ही बनाती हैं। बाकि सब की पसंद का खाना बनाते -बनाते एक वक्त बाद तो महिलाओं को अपनी पसंद याद तक नहीं रहती। 

हर महिला अपनी सारी इच्छाएँ बच्चे और पति तक ही सिमित रह जाती हैं और अपना सब भूल जाती हैं। 

अपनी इस विचार धारा या सोच से खुद को आजाद करिये और हमेशा ''एक अपनी पसंद की भी डिश बनाये और सब को बताये की ये मुझे बहुत पसंद हैं, इसलिए बनाई हैं। अपनी पसंद और नापसंद को अपनों को बताना सीखे और खुश रहे। 

तुलनात्मक सोच से आजादी :-यह अक्सर हर महिला सोचती हैं कि "मैं उतनी अच्छी नहीं दिखती" जितना की "वो"

मैं उतने अच्छे से ये काम नहीं कर पाई जैसे की वो ,मैं अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल सकती जैसे की वो ,मेरे पास गाड़ी ,अच्छा घर ,अच्छे कपड़े ,ज्वेलरी नहीं ,जैसी उसके पास हैं। 

क्यों न अब इन आदतों को बदल दिया जाय। जब भी हम किसी और से अपनी तुलना करते हैं तो मन में एक नकारत्मकता घर बना लेती हैं और फिर वो हमें किसी चीज में खुश नहीं होने देती। 

एक बात हमेशा याद रखिये की हर कोई एक दूसरे से अलग हैं उसकी जिंदगी भी अलग हैं। जैसे एक ही हाथ में पाँच उंगलिया भी समान न होकर अलग -अलग होती हैं। 

याद रखना चाहिए की हर किसी की जिंदगी अलग-अलग हैं ,न कोई हमारे जैसा हैं न हम किसी और जैसे। 

इस तरह के परतंत्र व्यवहार का मुखौटा जब आप हटायेंगे तो समझ पायेगे की जिंदगी कितनी अलग और खूबसूरत हैं। 

इसलिए अपने जीवन की तुलना किसी से मत करिये ,जो हैं जितना हैं उसी में खुश और मस्त रहिये हैं। 

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खुश रहने के लिए अच्छे लेखकों की किताबे पढ़े ,अपने जीवन में सफल महिलाओं की बायोग्राफी को पढ़े।तब आप जान पायेगी की उनके सफल होने के पीछे कितना संघर्ष हैं। 

बस हमे उसकी जिंदजी का आगे का हिस्सा सिर्फ सफलता ही दिखती हैं। 


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