लॉकडाउन के पर्यावरण पर सकारात्मक अच्छे प्रभावों को स्पष्ट करते हुए ९०-१०० शब्दों का अनुच्छेद


                       

             ''        लॉकडाउन के पर्यावरण पर       

                       सकारात्मक   प्रभाव  ''

जब  कोरोना  ने  भारत  में   प्रवेश  किया  तो ,सभी  लोगो  में  भय - डर  का  माहौल  हो  गया। 
देश  में  हलचल  सी  मच  गई , ऐसा  लगा  सब  कुछ   गड़बड़ा  गया  हो। 
सरकारे  भी  मुस्तैद  हो  गई।  लोगो  को  इस  covid  19  से  बचाने  के  लिए  सरकार  को  
लॉकडाउन  का  सहारा  लेना  पड़ा  , जिसका  सकारात्मक  असर  इंसानो  के साथ  - साथ 
 जीव - जंतु , पेड़  -  पौधों  , और   विशेष  कर  पर्यावरण पर  देखा  गया।  
pm ने  25 मार्च  से  लॉकडाउन  लगा  रखा  हैं ,  उसको  3  चरणों  में  पूर्ण  किया।  







इस  लॉकडाउन  के दिनों  में  पर्यावरण   60%  शुद्ध  हो  गया  हैं।    पिछले  कई  
 वर्षो  से  सरकारे  अनेक  प्रयासों  के  बावजूद   जो  काम  नहीं  कर  पाई।  वो  काम  इस  
लॉकडाउन  ने  कर  दिया   






लॉकडाउन  के  कारण  कई  नदियाँ  साफ  और  स्वच्छ  हो  गई। उनका  जल  बिलकुल  
स्वच्छ  और  निर्मल  हो  गया। 
''     गंगा  नदी  जिसकी  सफाई  के  लिए  करोड़ों  रूपये  खर्च  किये  वो  लॉकडाउन  में  अपने - आप  ही  स्वच्छ  हो  गई ,   जिससे  उसमे  ''  गंगा डॉल्फिन  '' भी  देखी   गई,  जो  शायद  
प्रदूषण   के   कारण  कही    खो  गई  थी। ''










हमारे  देश   में   मार्च   महीने   से  गर्मी  का  दौर   शुरू   हो जाता  हैं  ,पर    इस  बार  नदियों  
, तालाबों ,व  कुओ  में  पर्याप्त  मात्रा  में  जल  होने  से  जल  संकट  की  समस्या  नहीं  रही  , 
और    इतनी  गर्मी  का  अहसास  नहीं  हुआ।  
मई  माह  में  तो  सारा  जल  करीब  -  करीब  सुख  जाता  हैं  ,  पर  आज  प्रकृति  का   हम  सभी  लोगो  पर  आशीर्वाद  बना  हुआ  हैं ,ये  सभी  लॉकडाउन  का  असर  हैं। 








ये  लॉकडाउन  प्रकृति  के  सभी  जीव  - जंतु ,  पशु - पक्षी  व  पेड़ - पौधों  के लिए  भी  वरदान /  बन  गया  हैं। इन  सभी  के  लिए  लॉकडाउन  बहुत  सी  खुशिया  या   यु   कहे  की  इन  सभी  के  लिए  वही  पुरना   समय  ले  आया  हैं , जब  हर  तरफ  हरयाली  थी  , सारे  जीव  - जंतु  स्वच्छंद  विचरण  किया  करते   थे।     कई ऐसे  जानवर व  पक्षी  देखे  गए , जो  कही खो  गए  थे। 







पर्यावरण  के  शुद्ध  होने  से  कई पशु - पक्षी  गांव  ,  शहर  की  गलियों  व  सड़को  पर  घूमते  हुए  देखे  गए। ये लॉकडाउन  का  असर हैं जो  शुद्ध  हवा , पानी  पर्याप्त  मात्रा  में  मिल  रहा  हैं। इस लॉकडाउन में   =   स्नो लेपर्ड  देखा  गया  , वैष्णो  देवी  के  मंदिर  में  भी  शेर  विचरण  करते  देखे  गए और   भी  कई  पक्षी  , जानवर  देखे  गए। 






पेड़ - पोधों   की   फूल - पत्तियों  पर  भी  चमचमाती  हरयाली  हैं,  उन   पर  पक्षियों  का चहचहाना  भी  बड़ गया  , ये  लॉकडाउन  पर्यावरण  को  विशुद्व  करने  में  बहुत  सकारात्मक साबित  हुआ।  इस  प्रदूषण  रहित वातावरण  को  देख  लगता  हैं , प्रकृति  फिर  ''  शृंगार   ''   कर रही हैं। 







लॉकडाउन से पहले  सभी  जगह प्रदूषण  की  भरमार  थी  , दिल्ली  वालो  के  यहाँ  तो  शुद्ध  वायु   बिकने  लगी  थी ,  इस  प्रदूषण  ने कई  जीव - जन्तुओं  की  जान  ली  थी,  पर लॉकडाउन  ने कुछ  हद  तक  प्रदूषण  को  कम  कर दिया  हैं। 










लॉकडाउन  लगाए  जाने  के  कारण  प्रदूषण  में  आई   गिरावट  से  लोगो  व  पशु - पक्षियों  में  खुशी की  लहर  दिखाई दी हैं  ।  वातावरण के  शुद्ध होने  से , प्रदूषण  से  होने  वाली  कई बीमारियों  में  कमी  होगी ।   इसलिए ये लॉकडाउन सब  के  लिए अच्छा व  सुखद  साबित  हुआ। 
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लॉकडाउन  में  सभी  को  परिवार  का महत्व  समझ  आया  , की  जीवन  में  पैसे  के  आलावा  भी  कुछ महत्व  रखता  हैं। सब  मिलकर  साथ रहे  , वो सुख  इस  लॉकडाउन  ने  दिया।  









सुखमय  जीवन  के  लिए  हर  साल एक  माह  का  लॉकडाउन  जरूर  लगाना   चाहिए  , जिससे सभी  खुश और स्वच्छ रहे। 









          '''          अधिक -से  अधिक  पेड़  लगाए  और जल व  प्रकृति  बचाये  ।        '''



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