' दुर्गा पूजा तब सार्थक ,जब समान हो स्त्री अवसर''
👮👮❤ महामारी के दौर में जहाँ हम '' दुर्गा पूजा '' कर रहे हैं ,उसी समय ने आज स्त्रियों की वर्तमान स्थति पर बहुत असर डाला हैं। आज हम सब नवरात्रि पर क्यों न सभी जन एक बार गहन विचार कर हमारे जीवन और समाज में ''' बालिका और स्त्रियों '' के रहन -सहन और उनके जीवन पर बात करें और अपने विचार रखें।
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ये जो '' स्त्री '' जिसे ईश्वर ने बहुत ही खूबसूरत तस्वीर के रूप में बनाया हैं। हम सब जब इस [स्त्री ] के बारे में सोचेंगे और उनकी इस तस्वीर को ध्यान से देखेंगे तो हम बहुत ही दुःखी और निराश होंगे और वो खूबसूरत तस्वीर [स्त्री ] बेरंग नजर आएगी।
''वर्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की ओर से एक सर्वे में 2019 के लिंग भेद का सूचकांक बताता हैं, की भारत में लिंगानुपात में स्थान 2018 के मुकाबले चार स्थर निचे गिर गया हैं। ''
''वर्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की यह सूचना महिलाओं की '' आर्थिक हिस्सेदारी ,शिक्षा ,स्वास्थ और रोजगार '' के स्तर पर ये लिंगभेद के हिसाब से बनाया जाता हैं। लिंगानुपात में मेरे भारत का स्थान
'' 153 '' देशों में '' 112 वा '' स्थान हैं। जो बहुत चिंताजनक स्तर हैं। दिन ब दिन '' स्त्री लिंगानुपात '' में कमी आती जा रहीं हैं।
खास विचार की बात ये हैं ,कि ये सब इसी समाज में बिखरी लैंगिक असमानता के ही परिणाम या घटक हैं।
वर्तमान में जब COVID -19 जैसे घातक महामारी का दौर चल रहा हैं ,उसी तरह हमारे देश में कई पीढ़ियों से एक महामारी व्याप्त हैं वह हे '' लैंगिक असमानता '' ?
परन्तु इस पर कभी कोई ध्यान नहीं देता , न ही समाज के उच्चासित जन इस पर बात करते हैं न ही इस पर विचार करते हैं। इसलिए ये महामारी [ लैंगिक असमानता ] मूल रूप ले, बढ़ती ही जा रहीं हैं।
इस पर जरूर एक बार विचार किजिएगा?😌😌😌😐💫💫
हमारे देश भारत में होनें वाले एक सर्वे के अनुसार 33% भारतीय महिलाएँ '' शारीरिक '' ,
'' मानसिक '' और '' भावनात्मक '' हिंसा का शिकार होती रहती हैं और वो किसी से उसकी '' कम्प्लेन '' भी नहीं करती हैं। बस सब अपने आप में सहती जाती हैं और मौन रहती हैं।
👫👫👫'' क्या ऐसे ही होगी दुर्गा पूजा सार्थक? ''
या जब सभी स्त्रियों को समान अवसर नहीं मिल जाता ,तब हो असल दुर्गा पूजा सफल। आप स्वयं गहन विचार करें इस बात पर।
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मेरे देश भारत में आज से ही नहीं पुराने समय से ही स्त्री कर्मचारियों की संख्या कम रही हैं ,उन्हें सिर्फ घर और बच्चों को संभालने वाली समझा जाता हैं। इसलिए वे घर के साथ ऑफ़िस कार्य में कम ही दिखाई देती हैं और फिर उन्हें हमेशा पुरुष के समान अवसर भी नहीं दिया जाता।
'' स्त्री भी अपने पंख खोलकर खुले आसमान में ऊपर बहुत ऊपर उड़ सकें। ''💃💃💃💟💟💟
ये सुअवसर स्त्रियों को कम ही मिलता हैं और अभी ये जो समय '' COVID -19 '' की वजह से और अधिक होने की संभावना हैं। इस महामारी के दौर में महिला कार्मिक की संख्या और कम हो जाएगी। अब वर्तमान आंकड़े बताते हैं की इस महामारी के ''' COVID -19 '' के दौरान पुरुषों की संख्याबल में महिलाओं की नौकरियों और व्यापर पर अधिक प्रभाव [ खतरा ] पड़ा हैं।
महिलाओं का बिना शोषण हुए अगर वे अच्छे व उच्च लाभ वाले पद पर विराजमान हैं ,तो वे हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत ही मजबूत करती हैं। अपने आप को सुदृढ़ और सशक्त करना ,ये बातें ही स्त्री को नौकरी या व्यापर करने के लिए '' उत्साहित व प्रेरित '' करती हैं।
अपने घर ,समाज ,रिश्तेदारों में उसका स्वयं का आत्मसम्मान बढ़ता हैं और ये सोच विकसित करती हैं की '' हाँ '' वे भी कुछ हैं , कुछ कर सकती हैं।
हमारे समाज में व्याप्त पितृसतात्मक व्यवस्था ऐसी हैं , जो महिलाओं को अपने वास्तविक रूप में नहीं जीने देतीं। अधिकतर ये देखा गया हैं कि '' पितृसत्तात्मक '' व्यवस्था की देन हैं ,'' स्त्री की मानसिक ,शारीरिक और भावनात्मक हिंसा ''
हम कितनी ही कोशिश कर ले ........................................
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इसके आगे की बात अगले लेख में।
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