'' जैसा की मैंने पहले लेख में कहाँ की दुर्गा पूजा तब सार्थक जब समान हो स्त्री अवसर ''
अब उसके आगे की बात। ........
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हम कितनी ही कोशिश कर ले अगर हमारी और समाज खुद की सोच महिलाओं और बालिकाओं के प्रति नहीं बदलेंगा , तब तक आप उनकी स्थति सुधारने के कितनी ही प्रयास करलो , उनकी स्थति नहीं सुधरेगी।
स्त्री की दशा को सुधारने के लिए कितने ही कानून और व्यवस्था बना ले , इनसे बालिकाओं की स्थति में सुधार नहीं होगा।
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जब तक हम सभी दूसरों की बहन ,बेटी को अपनी बहन ,बेटी नहीं मानेगें तब तक समाज में बालिकाओ और महिलाओं पर अत्याचार व हिंसा होती रहेगीं।
जब तक हम सभी हमारे विचारों की शुद्धता और महिला के प्रति सम्मान की भावना , सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि वास्तविकता में अपने मन में नहीं जगायेंगे ,तब तक महिलाओं की स्थति में सुधार नहीं आ सकता। 👸👸👸💞💞💞
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इसकी नई शुरुवात : हमें अपनी सोच में परिवर्तन और महिलाओं को जगाना ही होगा और सबसे ज्यादा जरूरी पितृसत्तात्मक समाज को अपनी सोच बदलनी होगी।
अपने हक के लिए हमें खुद ही अपनी आवाज उठानी होगीं और अपने हक के लिए लड़ना होगा ,तभी हम वास्तविकता में '' देवीरूप '' बन पायेगी।
घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सभी स्त्रियों को कानून के प्रति जागरुक होना होगा और अपने हक की जानकारी भी खुद ही जुटानी होगीं।
हम सब वास्तव में चाहते हैं की महिलाओं को '' भोग -विलास '' की वस्तु न समझकर '' एक इंसान ''
सबसे पहले समझा जाये तो हमें , इस पितृसत्तात्मक समाज को और उसकी सोच को बदलना होगा।
हम सभी महिलाओं को सिर्फ घर संभालने वाली , बच्चो को संभालने वाली समझेंगे तो हम कैसे समाज को बदल पायेंगे. .
जब तक घर के पुरुष अपनी संगिनी के साथ घर के काम-काज में हाथ नहीं बटाते तबतक महिलाओं की स्थति में सुधार की आशा लगाना बेकार हैं।
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सृष्टि का मूल आधार महिला 💖💖💞💞💞
'' त्वं स्त्री त्वं पुमानसि त्वं कुमार उत वा कुमारी ..... ''
बालिकाएँ भगवान की बहुत ही कोमल ,जीवंत ,आत्मीय देन हैं। महिलाएँ ईश्वर की आत्मीय -अभिव्यक्ति हैं। ये एक सुन्दर और कोमल ईश्वरीय देंनहैं ,इसका सम्मान और आदर करें। इनको अपना हुनर और अपनी कार्य क्षमता और सफलता प्राप्त करने के लिए सभी महिलाओं और बेटियों को शिक्षित और हमेशा उनका हौसला बढ़ाये व इस समाज में अपनी छवि बनाने में सशक्त बनाये।
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महिला कहने में बहुत ही सामान्य सा शब्द हैं पर इस शब्द में पूरी सृष्टि समाहित हैं। इस महिला के होने से ही यह सृष्टि का नया सृजन होता हैं।
बेटी के होने से हमेशा दो घर -आँगन महकते हैं और बल्कि '' बेटी '' के अस्तित्व में पूरा संसार समाहित हैं। कल ये ही किसी की बेटी आगे चलकर बहन ,बहू ,पत्नी ,माँ ,सास ,आदि न जाने कितने रिश्तो को जीवंत रूप देती हैं ,और इस संसारसागर के संबंधों को निभाते हुए सृष्टि को जीवन्त रूप प्रदान करती हैं।
भगवान की बनाई मानव रूप कृति सबसे श्रेष्ठ कृति हैं ,पर उसमें भी '' नारी '' सबसे श्रेष्ठ रचना हैं।
पुराने समय में हमारे समाज में '' गार्गी '' जैसी महान विदुषी व दार्शनिक महिलाएँ हुआ करती थी ,जब भारत सोने की चिड़ियाँ कहलाता था ,पर जब से महिलाओं को परम्परा रूपी बेड़ियों में जकड़ा तब से हमारा देश '' गुलामी '' की जंजीरों में जकड़ता चला गया।
इसलिए कहते हैं जिस देश की महिला शिक्षित और पढ़ी लिखी होंगी वह देश बहुत उन्नति और हमेशा शिखर पर रहेगा। 💗💗💢💢
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जहाँ बेटियों को शिक्षा से वंचित रखा जाये और इसे परम्पराओं का नाम दिया जाये तो ये बड़े दुर्भाग्य की बात हैं।
दुर्भाग्यवश इस पितृस्त्तात्मक समाज में हमारी परम्परा और संस्कृति से जोड़ दिया जाता हैं ,और बेटियों को बंधनों में बांध दिया हैं। 👫👫💋💋
परन्तु? '' उम्मीद की किरण तभी दिखाई देंगी ,जब नई संभावनाओं में , पुरानी परम्पराओं पर नए सिरे से विचार हो और स्त्री और पुरुष दोनों के हित में हो।
क्या ? हमें स्त्री और बालिकाओं को अवसर दिए बिना ,सिर्फ देवी पूजा करके ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेंगे।
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