'' स्त्री '' आज़ादी का अर्थ सिर्फ ,निकम्मे होने की आजादी नहीं ''
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जैसा की पहले अंक में पढ़ा ,अब उसके आगे की बात
की क्या ? वाकई में '' महिला '' की आजादी का ऐसा दूसरा पहलू भी हैं?
'' स्त्री '' आज़ादी का अर्थ सिर्फ ,निकम्मे होने की आजादी नहीं ?''
इन दोनों प्रकार की स्त्री के बीच या , यूँ कहे अलग एक '' तीसरा वर्ग '' भी , हम कह सकते है। याने की '' आधा प्राचीन ,आधा नया'' ।👫👫👫👫💗
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इस '' तीसरे वर्ग '' ने इस '' स्त्री आंदोलन '' का अर्थ अपने मतलब के अनुसार प्रयोग किया है ,इस '' तीसरे स्त्री वर्ग '' ने '' आजादी '' का प्रयोग सिर्फ अपने ''' हितो और स्वार्थों ''' के लिए किया इस वर्ग ने सिर्फ और सिर्फ अपनी ''' स्वतंत्रता '' पर ध्यान दिया।
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इस '' वर्ग '' को किसी से कोई मतलब या सरोकार नहीं। इसे सिर्फ अपनी '' आजादी '' चाहिए ,और उसमे कोई '' खलल '' डाले तो वो ''' स्त्री विरोध '' हो जाये। इस तीसरे वर्ग ने जो
'' आजादी का अर्थ '' अपने हिसाब से माना है ,उसे आजादी न कह के यूँ कह सकते हे
" निकम्मे पन " या "स्वार्थी स्त्री" ।
ये कैसी आजादी ?💃💃💃💃💝💝💝
इस वर्ग ने ''' शिक्षा ज्ञान '' का उतना ही '' अर्थ , समझा '' या निकाला। जितना इसकी आजादी के लिए '' महत्वपुर्ण '' था। उससे आगे के '' ज्ञान '' का इनके लिये कोई ' महत्त्व '' नहीं। इन्हे बस हर हाल में अपने ऊपर '' बंदिशे '' स्वीकार नहीं ,फिर इसके लिए इन्हे कुछ भी सहना पढ़े। बस आजादी का अर्थ इन्होने इतना ही समझा।
' स्त्री वर्ग ':-💖💖💖💃💃💃
इस '' स्त्री वर्ग '' को आजादी हर तरह की चाहिए। आधी रात तक घर से बाहार घूमने की स्वतंत्रता ,बिना किसी के रोक- टोक के घूमने की स्वतंत्रता, इन्हे तो '' नौकर- चाकर '' चाहिए।
कहते है की '' मॉडर्न औरतों ''के लिए '' घर '' के या '' रसोई '' के कार्य नहीं होते ,वो तो उन्हें
'' दकियानूसी '' लगते है। घर के काम '' मॉडर्न महिला'' के काम काज नहीं।
उन्हें तो नौकर -चाकर चाहिए ,महंगे होटलो में खाना, महंगे कपडे पहनना ,मॉडर्न अर्धनग्न कपडे पहनना आधी रातों तक '' घर '' से बहार रहना ,दोस्तों के साथ '' घूमना- फिरना '' वह भी बिना
'' रोक -टोक '' के ये सारी आजादी चाहिए। बस इसके लिए भी '' कोई '' काम नहीं करना चाहती।
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इसके लिए आज '' हर लड़की '' को एक पैसे वाला या '' मोठे पैकेज ''' वाला
'' पति या बॉयफ्रेंड '' चाहिए। इस '' स्त्री वर्ग '' को '' बहुए '' तो आदर्श चाहिए, परन्तु
'' बेटियाँ ''' हमेशा ''' स्वतंत्र ''' हो।
इन्हे बस कुछ नहीं चाहिए तो वह है, ''' खुद के दम ''' पर कुछ हासिल करना। यह बात नहीं की हर वर्ग की '' महिला '' ऐसी नहीं होती।
ऊपर दो प्रकार की जो ''' स्त्री '' हैं। वो अपने ''' आत्मसम्मान '' के साथ '' जीवन '' जीती है, पर ये आज के '' दौर '' की '' नई मॉडर्न स्त्री '' जो है ,उसके '' ख्याल '' कुछ ऐसे ही है।
' स्त्री '':-👧👧👸👸
इस वर्ग की '' स्त्री '' को '' रुपया-पैसा ,धन-दौलत,ऐशो '' आराम सब चाहिए ,पर उसके लिए खुद कुछ '' काम या मेहनत '' नहीं करनी है। इस '' स्त्री वर्ग '' को '' सुख-सुविधा '' तो पूरी चाहिए ,परन्तु उसके लिए कुछ '' मेहनत या त्याग '' बिल्कुल नहीं करना है।
पुरुष वर्ग ''' :- 👨👨👦👦👦💗💗💗
हम हमेशा '' पुरुष वर्ग ''' से '' स्त्री '' की स्वतंत्रता की तुलना करते है,परन्तु ये भूल जाते है , की घर के '' पूरुषों '' जैसी '' आजादी '' के लिए घर की '' अर्थव्यवस्था और गृहस्थी '' की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। इसके लिए कई '' इच्छाओ और भावनाओ '' का त्याग करना पड़ता है।
इसके आगे की और बाते अगले अंक में _ _ _ _ _ _ _ _ _ _
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